2 अक्टूबर । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने नागपुर के रेशिमबाग मैदान में अपने स्थापना दिवस और शताब्दी वर्ष के अवसर पर विजयादशमी उत्सव का आयोजन किया। इस ऐतिहासिक अवसर पर संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने अपने संबोधन में भारतीय समाज की एकता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक मूल्यों पर बल दिया।
डॉ. भागवत ने अपने भाषण में कहा कि भारतीय समाज की विविधता उसकी ताकत है, लेकिन इसे विभाजन का कारण नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा, “हम सभी एक बड़े समाज के अंग हैं, और हमें एकता बनाए रखनी चाहिए।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि कुछ तत्व समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, और ऐसे प्रदर्शनों से बचना चाहिए जो किसी विशेष समुदाय को उकसाने का काम करें।
इस वर्ष के उत्सव में शस्त्र पूजा का आयोजन भी किया गया, जिसमें पारंपरिक शस्त्रों के साथ-साथ पिनाका MK-1, पिनाका एन्हांस और ड्रोन जैसे आधुनिक शस्त्रों की प्रतिकृतियाँ भी प्रदर्शित की गईं। डॉ. भागवत ने इन शस्त्रों की पूजा की और भारतीय सेना की वीरता की सराहना की। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता की भी सराहना की, जो भारतीय सेना की तत्परता और साहस का प्रतीक है।
इस अवसर पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उपस्थित रहे और उन्होंने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघ की नीतियों की सराहना की। उन्होंने कहा, “संघ में जातिवाद नहीं है, और यह समाज में समरसता लाने का कार्य कर रहा है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी डॉ. भागवत के संबोधन को प्रेरणादायक बताया और कहा कि यह भारत की आंतरिक क्षमता को उजागर करता है। उन्होंने कहा, “डॉ. भागवत का संबोधन देश की आंतरिक क्षमता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने की दिशा में प्रेरणा देने वाला है।”
इस वर्ष का विजयादशमी उत्सव संघ के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ, जिसमें शताब्दी वर्ष के अवसर पर भारतीय समाज की एकता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक मूल्यों को पुनः जागृत किया गया।



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